"यह अध्याय महाकाव्य ‘‘महासागर’’ नामक पुस्तक से लिया गया 5वां भाग है। महासागर, एक ऐसा महाकाव्य जिसकी रचना लेखक ने मन ही मन में की है। जिस प्रकार श्रीमद् भगवद् गीता, दो लोगों के बीच हुई संसार की सबसे महान, दार्शनिक तथा धार्मिक वार्ता है, ठीक इसी भांती नमक एक दर्शन, भी एक पुलिस अधिकारी जावेद अख्तर, व एक पढे-लिखे, नौजवांन आतंकवादी असलम खान, के बीच कारागृह में हो रही दार्शनिक तथा धार्मिक वार्ता है। पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु 1-शब्दों के विशाल मायाजाल में फंसा मनुष्य। जंगल में फंसा मनुष्य बाहर निकल सकता है, क्योंकि जंगल की सीमाएं हैं, शब्दों की कोई सीमा नहीं। 2-आतंकवाद की कडवी सच्चाई और मीठा समाधान। 3-मनुष्य की अशान्ति के तीन तल । 4- कृष्ण और मुहम्मद का शान्ति संदेश। 5-मुहम्मद के वचन सीधे और साफ कृष्ण, एक तर्क शास्त्री। 6-पवित्र कुरान शरीफ, की आयतें ओैर श्रीमद् भगवद् गीता, के श्लोंको में समांनता। 7-अर्जुन एक जिहादी। मुहम्मद और लव जिहाद। 8-बारूद के ढेर पर खडी दुनियां, जो कभी भी विस्फोट होकर तबाह हो सकती है। 9-जसंख्या विस्फोट गरीब और नासमझ लोगों के मनोरंजन का एक मात्र साधन। 10-कुरान की ओर लौटो, कुरान एक सकारात्मक सोच। 11-इस्लाम है पृथ्वी पर शान्ति का परम् मार्ग। 12-धर्म एक अधर्म अनेक, सनातन ही एक मात्र धर्म। 13- अध्यात्म के सुन्दर वस्त्र ओढे मनुष्य। 14-वन्दे मातरम् मानव संस्कृति और सभ्याता के विकास का सबसे उच्च संस्कार। 15-जीव हत्या करना पवित्र कुरान शरीफ, के अनुसार महापाप।"