"मृत्यु एक ऐसा विषय है जो सदैव से ही मनुष्य के लिए जिज्ञासा का केन्द्र रहा है। एक दिन हम सभी लोगों को इससे गुजरना होगा। मृत्यु प्रत्येक के शरीर का अन्त है। हिन्दू धर्म के अनुसार ‘‘मृत्यु एक मंगल कारी देवी है।’’ किसी भी प्राणी के जीवन के अन्त को मृत्यु कहते हैं। ‘‘मृत्यु बहुत सुन्दर पडाव है। जैसे हम चलते-चलते थक जाते हैं, और वृक्ष के नीचे विश्राम करते हैं, और पुनः उठकर चल पड़ते हैं, विश्राम का ही दूसरा नाम मृत्यु है। ‘‘मृत्यु अंत नहीं है’’। शरीर का नाश होता है। आत्मा अमर है। जो व्यक्ति इस सत्य को जान लेता है कि आत्मा अमर है। आत्मा पुराने शरीर को त्याग कर नये शरीर को धारण कर लेता है। मूर्ख व्यक्ति जो मृत्यु के भय से आशंकित रहता है। वे लोग जीते तो हैं परन्तु मरे मरे और डरे डरे जीते हैं। शेक्सपीयर ने लिखा है कावर्डस डाई मेनीटाइमस बिफोर देअर डेथ’’ (डरपोक लोगों की मृत्यु जीवन में कई बार होती है।)’’ इस पुस्तक के माध्यम से लेखक ने मृत्यु ज्ञान की सत्यता को बहुत ही ख़ूबसूरत तरीके से बयां किया है। जो भी इस पुस्तक को पढ़ने वाले होँगे वो निश्च्य ही मृत्यु के भय से मुक्ति पाएंगे। "