प्यार, पैसा, पावर की चाहत में कभी न खत्म होने वाली दौड़ में शामिल लोगों के लिए लेखक ने 'मृगतृष्णा' की रचना की है। लेखक उदारवृत्ति, अध्ययवसायी, चिंतनरत व सरल ह्दय व्यक्तिव के धनी हैं। आप भारत सरकार के विशिष्ट पद पर रहकर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। सेवानिवृत्त के उपरांत आपका लक्ष्य लोकमंगल हेतु अपने कृतित्व के माध्यम से सही दिशा व सकारात्मक सोच की प्रेरणा प्रदान करना है। जीवन की सार्थकता लोककल्याण से पूर्ण होती है। प्रस्तुत पुस्तक में एक सफल जीवन के लिए जिन मानवीय व नैतिक मूल्यों का होना आवश्यक है, उनका समुचित समावेश लेखक श्री चंद्रमौलि राय ने किया है। पाठकों से विनम्र निवेदन है कि वे इस पुस्तक में संकलित रचनाओं के द्वारा उनमें निहित शीर्ष आदर्श व उच्च संस्कारों को ग्रहण करें व व्यवहार में लाएं, यही लेखक का उद्देश्य है।