मैं कौन हूं और कहाँ से आया यह विषय सदा मानव मस्तिष्क में जिज्ञासा का रहा है l अति दुर्लभ मनुष्य का शरीर बहुत जन्मों के अंत में परम दयालु भगवान की कृपा से ही मिलता है । इसलिए मनुष्य को नाशवान क्षण भंगुर संसार के एनित्य भोगो को भोगने में अपने जीवन का अमूल्य समय नष्ट नहीं करना चाहिए । भगवान बुद्ध ने कहा है कि मोमबत्ती को जैसे आग के बिना नहीं जलाया जा सकता है l उसी प्रकार से मानव का आध्यात्मिक हुए बिना जीना असंभव है । इस पुस्तक के माध्यम से लेखक ने सभी लोगों के प्रश्नों का उत्तर ढूंढने का प्रयास किया है । यह प्रश्न केवल लेखक का नहीं है, बल्कि सबका प्रश्न है कि “मैं कहां से आया हूँ” इसका उत्तर जानने का हक सबको है । मेरा पाठकों से निवेदन है कि इस पुस्तक को अवश्य पढ़ें ।