Kundalini ka Jagr​​an
Kundalini ka Jagr​​an

Kundalini ka Jagr​​an

  • Sat Aug 28, 2021
  • Price : 120.00
  • Rigi Publication
  • Language - Hindi
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विश्व ब्रह्माण्ड की संचालिका वह अनन्त शक्ति जो सूक्ष्मातिसूक्ष्म परमाणु पिण्ड की तरह अव्यक्त चिर विश्रान्ति में पड़ी है, एक विखंडन का आश्रय लेकर उद्यत होती है। इसकी चिदाग्नि में जीव के संचित प्रारब्ध कर्म और पाप भस्म हो जाते है। जीव ‘शिव’ हो जाता है। यही ‘पराशक्ति’ का जागरण है। यह ‘अद्वैत साधना’ भगवान शिव से उद्भूत होकर निरन्तर प्रवाहित हो रही है। समस्त साधनाओं की जननी, समस्त कलाओं की प्रदाता यह चित्कला है। सम्पूर्ण तान्त्रिक वांग्मय इन्हीं से प्रस्फुटित हो कर इन्हीं में लीन हो जाता है। यहीं ‘कुंडलिनी’ की साधना है, ‘‘स्वयं’’ की साधना है। साधक (लेखक) की स्वानुभूति से हुए बोध का प्रस्फुटन इस ग्रन्थ में रहस्यात्मक चित्रों के रुप में गुम्फित हो गया है। लगता है जैसे मातृ शक्ति कह रही हो ‘‘मैं ही हूँ! दूसरा कोई नहीं।’’ अद्भुत ग्रन्थ है, संग्रहणीय है, एक निर्विकार निश्कलुष शान्तिमय जीवन और आध्यात्मिक उत्कर्ष देने वाला है। लेखक राकेश कुमार की कुंडलिनी पर यह दूसरी कृति है। जनवरी 1963 में ग्राम हैंसर बाजार- जिला सन्त कबीर नगर (तत्कालीन बस्ती जिला) उ0प्र0 में एक मध्यम वर्गीय वैश्य परिवार में जन्म हुआ। पिता स्व0 रामबली गुप्त एक धर्मपरायण व्यक्ति थे। प्रारम्भिक शिक्षा गांव में हुई। वाराणसी के हरिश्चन्द्र डिग्री कालेज से एम0काम0 तक की शिक्षा ग्रहण की। उत्तर रेलवे, उत्तर मध्य रेलवे में लगभग 24 वर्षों तक अनवरत् सेवा के पश्चात् जुलाई 2011 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। इसी काल खण्ड में सितम्बर 2009 में जीवन संगिनी का प्रयाण हो गया। वर्ष 1996 में ‘प्रयाग’ में ही श्री गुरु (परम पूज्य स्वामी श्री निश्चलानन्द सरस्वती जी महाराज श्री मज्जगद्वरु शंकराचार्य-पुरी पीठ ओडिशा) के प्रथम दर्शन हुए। तब से ही जीवन में अद्भुत परिवर्तन होने लगा। कालान्तर में उपयुक्त अवसर आने पर श्री गुरु ने ‘दीक्षा’ संस्कार दिया। शब्द ‘कुंडलिनी’ जीवन के प्रारम्भिक समय से ही आकर्षित करता था। वर्षों पूर्व से ही यह अनुभूति होने लगी थी कि कोई अदृश्य शक्ति एक अनजानी परन्तु निर्धारित मार्ग पर लिए जा रही है। ऐसा अनेकों बार होता रहा कि जौ मैंने चाहा वह नहीं हुआ, लेकिन जो हुआ वह अकल्पनीय, आहलादक रहा। यह ग्रन्थ भी इसी अदृश्य मार्ग का एक पुष्प है।