किसी भी मानव की संपूर्ण जीवनी लिखना एक कठिन कार्य है। किन्तु इससे भी कठिन कार्य है किसी महापुरष के बारे में लिखना। सृष्टि के आरम्भ से लेकर आज तक वेद, उपनिषद, पुराण, गीता, बाइबल, कुरान आदि सभी ग्रंथ व असंख्य पुस्तके आज तक भगवान के बारे में सम्पूर्णता से नहीं लिख पाई तो मेरा एक महान आत्मा श्री श्री श्री केशवचन्द्रजी के बारे में लिखना या उन्हें दर्शाना एक असंभव कार्य प्रतीत होता है। लेकिन यह कार्य प्रभु कृपा से इतनी सरलता से हो जायेगा इसका मुझे पता नहीं था। कुछ ही समय में मैं अपने गुरु जी श्री श्री श्री केशवचन्द्रजी के जीवन से जुड़े तथ्यों को एकत्रित कर पाया, वही आप सभी लोगो के समक्ष इस पुस्तक के माध्यम से पहुंचाने का प्रयास कर रहा हूँ। इस पुस्तक को मैंने तीन हिस्सों में बांटा है। प्रथम भाग में पहले २५ वर्षों का वृत्तांत है बचपन, पढ़ाई,बाल लीलाएँ,रामदास के पत्र,शरीर पर उभरते दिव्यत्व के चिन्ह, जान ठाकुर कर गुरगद्दी पर बिठाना। द्वितीय भाग में किस प्रकार लोग अपने आप आ कर जुड़ते गए और संघ बना, यज्ञों के लिए ठाकुर जी वरणी के लिये कैसे गए। चरम शस्त्र का आना, यज्ञों का होना, संघ को पूर्ण रूपेण आगे के लिए तैयार करना, अन्त में स्थूल शरीर में स्वास्थ्य का बिगड़ना व शरीर त्यागना। तृतीय भाग में ठाकुर जी का जन्म रहस्य, संघ की नियमावली व गुप्त रहस्य, चरम में लिखित ज्ञान,भगवान के कार्य, विश्व में धर्म की स्थापना आदि को लेकर चर्चा की गई है।