Keshav Kaivalya Kanika
Keshav Kaivalya Kanika

Keshav Kaivalya Kanika

  • Wed Jul 07, 2021
  • Price : 79.00
  • Rigi Publication
  • Language - Hindi
This is an e-magazine. Download App & Read offline on any device.

Preview

बहु अनुगत शिष्य भक्त श्री श्री श्री ठाकुर केशवचन्द्र जी के पझपाद पीठ में एकत्र व्यक्तिगत या समवेत भाव से नाना समस्याएँ उत्थापन कर समाधान प्रार्थना किया करते थे। उस अवसर पर प्रभुपाद गुरुस्वामी श्री श्री श्री ठाकुर जी नाना प्रसंगो में उपदेश, आदेश, टिप्पणी, मीमांसा, सिद्धान्त, निष्पति इत्यादि दिया करते है। परम कारुणिक श्री श्री श्री ठाकुर जी के श्रीमुख नि; सुत वाणी गुच्छ कैवल्य कणिका है। उन वाणियों को गुरुभाईयों ने लिपिबद्ध किया है। यह कैवल्य कणिका ही अनुगत, अनुरक्त अगणित भक्तो की मुक्ति, मोक्ष, निर्वाण और चरम प्राप्ति की चाबी है साधक भक्त भाई-बहन की आध्यात्मिक जीवनचर्या, चित्त वृत्ति निरोध एवं वृत्ति-प्रवृत्ति के नियंत्राण के लिए इन सफल वाणियों की उपयोगिता परम आवश्यक है। प्रत्येक व्यक्ति दम्पति और परिवार मे एवं  विभिन्न सत्संग बैठक में, सत्संग अधिवेशन में, उत्सव में यह भक्ति और श्रद्धा सहित पाठ किये जाने के साथ दैनंदिन आचरण में प्रत्येक भाई -बहन के पल्लवित पुष्पित होना उचित है। केवल उनकी चिन्ता और चेतना में तन्मय व तल्लीन होकर रहने की अवस्था ही कैवल्य। ठाकुर जी को धरे वही कैवल्य लाभ सफल साधना मध्ये श्रेष्ठतम। कर्मयोग का लक्ष्य ही कैवल्य लाभ। संसारी\विषयी हेतु यह कर्मयोग श्रेष्ठतम पथ। विश्वास, निष्ठा, आन्तरिकता के साथ यह कैवल्य कनिका पान करके, कैवल्य सोपान में उपनीत हो सकने से ही जीवनकाल मध्ये सुमधुर अनुभूति लाभ कर, कैवल्य के बलपर जीवन्मुक्त अवस्था  प्राप्त होकर धन्य होंगे।   ज्वाला यन्त्रणा पूर्ण जीवन में, प्रशान्ति का स्वच्छ सलिल बिन्दु के समान, कैवल्य कनिका की वाणी, सिन्धु का प्राण प्राचुर्य भर देता है, अंग -अंग में, मन मन में प्राण-प्राण में।   इससे सतशिक्षा लाभ करने से हमारा उद्देश्य सफल होगा। विश्व का कल्याण भी सम्भव होगा। अनिल चावला (संग्रहकर्ता)