मयंक चतुर्वेदी मानस की ग़ज़लों में विविधता है। जमाने के तमाम पहलू और परेशानियों का आइना है। ग़ज़लें केवल मोहब्बत की बात तक जाकर नहीं ठहरतीं, बल्कि जिंदगी की मुश्किलात से दो-दो हाथ करने के लिए उकसाती हैं। जीवन को सकारात्मक सोच के साथ सलीके और संजीदिगी से जीने के लिए प्रेरित करती हैं निराश और थके-हारे लोगों में भी मानस की ग़ज़लें नया जोश और हौसला भरने में कामयाब है। ग़ज़लों में मोहब्बत का हर रंग दिखाई देता है। मेहबूब से मोहब्बत, गुस्सा, लाचारी आदि के भाव शब्दों के जरिए सामने खड़े हो जाते हैं। शेरों की तासीर ऐसी है, जो अपने साथ खींचकर ले जाती है और भावनाओं के समंदर में डुबो देती है। आज के सियासी हालात पर भी मानस ने बेबाकी से करारी चोट की है। सियासत में मौजूद हवापरस्ती को शायरी के जरिए लानत पेश की है। उम्मीद करता हॅू कि मयंक चतुर्वेदी ‘मानस‘ का ग़ज़ल संग्रह ’जज़्बात’ पाठकों की कसौटी पर खरा उतरेगा। -मनोज शर्मा, साहित्यकार