"ब्रह्मांड में स्थित चल अचल , दृश्य अदृश्य , हर एक प्रकार की चीज जैसे कि विविध प्रकार के ग्रह ,उपग्रह, तारे ,धातु , वायु ,जीव - जंतु यह सब जब तक अपने आप को संतुलित बनाए रखते हैं तब तक उनका अस्तित्व बने रहता है ! लेकिन जो चीज अपना संतुलन खो देती है! उसका अस्तित्व हमेशा के लिए खत्म होता है ! वैसे ही जो स्त्री पुरुष संतुलित राह पर चलते हैं ! वह सदैव सर्व संपन्न बने रहते हैं ! और सदैव उनका अस्तित्व बने रहता है . और जो स्त्री पुरुष संतुलन खो देते हैं यानी कि असंतुलित हो जाते हैं वह दुर्बल बने रहते हैं और वक्त से पहले अपना अस्तित्व खो देते हैं. इंसान को जीना सिखाने की राह सही (सद्गुण )और गलत ( दुर्गुण ) में फर्क दिखाने की राह यह तत्वज्ञान हैं."