हमारी ये कहानि एक ऐसी ही सत्य घटना पर आधारित है जिसमें आस्था और अंध विष्वास के फर्क को ही खत्म कर दिया।आंखो पर यकीन करो तो विष्वास पर दिमाग पर यकीन करो तो अंध विष्वास। च्ंाबल के गांव में एक साधू ने अग्नि समाधि ले ली।एक बाबा जिसके षरीर से प्रकट हुई अग्नि में ही बाबा ने समाधि ले ली,।बाबा का पूरा षरीर उसके षरीर में निकली आग से ही जल गया,वो भी हजारों लेागों के सामने।नजारा एसा कि इलाके के पुलिस अधिकारी भी उस बाबा के हाथ जोडने को मजबूर हेा गए।इस घटना ने चंबल के साथ साथ पूरे प्रदेष में और देष में सुर्खियां बटोरी।हंगामा एसा कि पूरे गांव को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया।टेलीविजन इतिहास की पहली ऐसी घटना,जिसमें किसी बाबा को जलते हुए लाईव दिखाया गया।पुलिस के अधिकारीयों के हाथ जोडने पर उन्हें संस्पेंड कर दिया गया।और सरकार के द्वारा इस मामलें में उच्च स्तरीय जांच के आदेष दे दिए गए। पर जांच में क्या सच निकल कर सामने आ पाया,क्या हजारों लेागों के सामने बाबा के षरीर से आग निकलने और उसी आग में सिर्फ बाबा के षरीर के जलने की बात सच है।पर हजारेां लोग झूठ क्यों बोलंेगे।लाइव तस्वीरें झूठ क्यों बोलेंगी। 8 साल पहले घटी इस घटना के पीछे का हर सच जानने के लिए पढे -