जिन्हें एक जीवन में सबकुछ मिला होता है वे लोग उस जीवन की परवाह नही करते। उन्हें लगता है कि ये सबकुछ सामान्य है। ज़िन्दगी ऐसी ही होती है। इसका कोई मोल नही। किन्तु दूसरी ओर जिन्हें जीवन में वो सब नही मिला जिनकी ज़रूरत थी, वे इस सब को तरसते हैं।सामान्यतः लोग हर छोटी-बड़ी मुश्किल देखते ही हार मान लेते हैं। उन्हें लगता है कि वे ये कर ही नही सकते हैं। लेकिन वहीँ कुछ लोग इन बाधाओं को पार कर मंज़िल तक पहुँच जाते हैं। ज़िन्दगी और हौसले की बातें करते ये किताब आपको बहुत कुछ दे जाएगी। -- पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलॉन्ग से महाराजा कृष्ण जैन स्मृति सम्मान विजेता, गुवाहाटी, असम से ताल्लुक रखने वाली युवा हिन्दी लेखिका जीना शर्मा ख़ुद से चल नहीं सकतीं, उन्हें चलने के लिए दूसरों से मदत की जरुरत होती है। लेकिन दिव्यांग होने के बाद भी उन्होंने अपनी क़लम से हौसले का परिचय दिया है। उनकी पहली पुस्तक ‘सुनहरे सपने’ वर्ष २००७ में प्रकाशित हुई थी। इस पुस्तक के लिए इन्हें पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलॉन्ग से महाराजा कृष्ण जैन स्मृति सम्मान मिल चुका है। उनकी दूसरी पुस्तक ‘पहचान’ २०१६ में प्रकाशित हुई थी। जीना शर्मा इंदिरा गाँधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (IGNOU) से हिंदी भाषा में स्नातक उपाधि हासिल कर चुकी हैं। साथ ही मासकम्युनिकेशन में एम. ए. की शिक्षा भी हासिल कर चुकी हैं और सर्जनात्मक लेखन में डिप्लोमा भी प्राप्त किया है।