आँखों में नींद नही डॉक्टर बनने के हज़ारों सपने थे। रात-दिन बस एक ही धुन थी कि ख़ुद को एक डॉक्टर बनाना है। चार साल लगातार यही सिलसिला था। लेकिन एकदम से सब बिखर गया। वही रातें अब काट खाने को दौड़तीं थीं। ये रातें समय के साथ और ज़्यादा भयावह होती चली गयीं थीं। वो डॉक्टर बनने का सपना, सपना नही एक भयावह स्वप्न बन चुका था। -- युवा हिन्दी लेखक माला मोदी राजस्थान के जोधपुर संभाग में आने वाले गाँव भावनगर के निवासी हैं। फ़िलहाल हिमाचल प्रदेश कृषि विश्विद्यालय से एग्रीकल्चरल बायोटेक्नोलॉजी में एम.एस.सी(M.Sc) में अध्ययनरत हैं। इनके द्वारा लिखा गीत कृषि विश्विद्यालय जोधपुर का विश्विद्यालय गीत के तौर पर अपना लिया गया है। इनको बचपन से लिखने का काफ़ी शौक रहा है।