हम सभी अपने मन का काम करना चाहते हैं। वो मन का काम जो हमें अच्छा लगता है। चाहे उससे हमें पैसा या रुतवा ना मिले लेकिन उसको करने से मन ख़ुश होता हो। कभी-कभी आप ना चाहते हुए भी वो काम कर लेते हैं जो आपका मन नहीं चाहता, किन्तु आपके अपने चाहते हैं कि आप ये ही करें। यही वो स्थिति है जो आप को आधा इधर और आधा उधर लटकाए रखती है। इस कविता संग्रह की सभी रचनाएँ वीरों की धरती राजस्थान की तपती धरती पर बैठकर लिखी गयीं हैं। क़िताब के लेखक हेमराज सैनी एक युवा इंजीनियर हैं जो अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद अपनी नौकरी करते हुए इन कविताओं को तैयार करते रहे हैं. - युवा हिन्दी लेखक हेमराज सैनी जिला टोंक, राजस्थान के एक गाँव राहोली से ताल्लुक रखते हैं। इनके दादा स्व. श्री किशन जी माली ने लिखने के लिए इनकी सबसे ज्यादा हौसला अfजाई की।राजस्थान की तपती धरा में इनका पैदा होना और आप तक किताब पहुँचानें का सफ़र जलते अँगारो पर चलने जैसा रहा है। हेमराज सैनी की माध्यमिक शिक्षा के उपरान्त से ही लेखन के प्रति ईच्छा बढने लगी थी।