इस भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में स्वस्थ रहना कितना ज़रूरी और मुश्किल हो गया है इसको बताने की ज़रूरत नहीं है। हम अपने ख़ुद के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं। खान-पान, जीवनशैली और स्वस्थ रहने के बहुत से सुझावों को लिए पुस्तक "फिट तो रहना है, लेकिन कैसे?" आपको जीवन में बेहद उपयोगी लगेगी। जो लोग स्वस्थ रहना चाहते हैं, व्यस्त दिनचर्या में भी स्वस्थ रहना चाहते हैं उन्हें यह पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए। -- आहार/पोषण विशेषज्ञ कल्पना शुक्ला अपनी इस किताब से लोगों को खानपान-पोषण सम्बंधी बारीकियों से रूबरू करायेंगीं. अपनी सोच, आहार और जीवनशैली में किये हुये छोटे-छोटे परिवर्तन हमारे परिवार के संपूर्ण विकास में कितने प्रभावशाली हो सकते हैं, कल्पना शुक्ला ने इस किताब के द्वारा हम सभी को ये जानकारी देने का सराहनीय प्रयास किया है। वैसे तो कल्पना साहित्य में परास्नातक (Masters in Literature) हैं परन्तु स्वास्थ्य (Health) संतुलित, पोषक और स्वास्थ्यप्रद आहार में रुचि होने के कारण इन्होंने आहार-विज्ञान(पोषण विज्ञान- Dietetics) और पोषण (Nutrition) का प्रशिक्षण लिया। लेकिन इन सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि कल्पना जी एक अनुभवी गृहणी (Housewife) हैं जिन्होंने अपने जीवन के उतार-चढाव और अनुभवों के आधार पर और काफ़ी अध्ययन के बाद ठोस परिणामों के आधार पर बहुत ही आसान सुझावों वाली किताब लिखी है। सरल भाषा के प्रयोग के कारण यह किताब अत्यंत दिलचस्प और प्रभावकारी हो गयी है।