एक शाम ऐसे ही हॉस्टल के कमरे में बोरियत हो रही थी तो यूट्यूब पर विडियो स्क्रोल करने लगा। तभी सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी की एक कविता सामने आ गयी “देश काग़ज़ पर बना नक्शा नहीं होता”। फिर केदारनाथ सिंह जी के संपर्क में आए। उसके बाद जौन एलिया, अहमद फराज़, गीत चतुर्वेदी और ऐसे ही कितने ही विख्यात कवि व शायर अपनी कविताओं व शायरी के ज़रिये मेरे साथ रहने लगे। और जैसे हर कोई अपनी बात कहना चाहता है, मैंने भी अपनी बात कहनी शुरू कर दी। धीरे-धीरे ये आदत बन गयी। मेरे लिए कविता अधूरे एहसासों की एक पोटली है। कविता के ज़रिये ही मैं अब ख़ुद को, समाज को, सुख व दुख को समझने का छोटा सा प्रयास करता हूँ। -- वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर-CSIR) की घटक इकाई, केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सीएसआईओ-CSIO) चंडीगढ़ में शोधार्थी (पीएच.डी-Ph.D), युवा हिन्दी लेखक विनय लोहचब हरियाणा के एक छोटे से गाँव बुपनिया से ताल्लुक़ रखते हैं। इनका शोध विषय बायोमेडिकल इमेज प्रोसेसिंग है जिसमें ये घुटनों की बीमारी ऑस्टियोअर्थराइटिस (अस्थिसंधिशोथ-Osteoarthritis) व घुटने बदलने के बाद मरीज़ की रिकवरी को थर्मल इमेजिंग से जाँचते हैं। विनय जी वर्ष 2016 में दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से परास्नातक की शिक्षा हासिल कर चुके हैं। इन्होंने यूजीसी-नेट, जेआरएफ़ (UJC-NET, JRF) दिसम्बर 2015, गेट (GATE) 2014 व 2015 की परीक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स साइंस विषय से उत्तीर्ण की है। साथ ही 10वीं व 12वीं कक्षा में मेरिट प्राप्त हैं।