एक व्यक्ति के जीवनचक्र में न जाने कितनी ही ऐसी घटनाएँ होती हैं जो उसकी स्मृति में रच-बस यादें जाती हैं। हम उन घटनाओं को भूल जाते हैं। लेकिन फिर एक रोज़ हमारे ज़हन से बिसरी हुई ऐसी यादें फिर से दस्तक दे अपना आभास कराती हैं। हम फिर से उसी दुनिया में जा पहुँचते हैं जहाँ कभी हुआ करते थे। दस्तक कुछ इसी तरह की पुस्तक है जो आपको ऐसी ही दुनिया में फिर से ले जाएगी जो आपको न जाने कब से अपनी ओर बुला रही थी लेकिन आप जा नही सके थे। -- वरिष्ठ हिन्दी लेखिका डॉ. शुभा मेहता जबलपुर (मध्य प्रदेश) शहर से हैं. शुभा जी संस्कृत से एम.ए (M.A),पी एच.डी (Ph.D) हैं व हिन्दी साहित्य से एम.ए (M.A) भी कर चुकी हैं. गवर्नमेंट कॉलेज, दुर्ग (म.प्र,) में व्याख़्याता (Lecturer) तत्पश्चात्, जबलपुर विश्वविद्यालय (Jabalpur University) में रिसर्च असिसटेंट (Research Assistant) और उसके पश्चात् केन्द्रीय विद्यालय संगठन से जुड़ी रहीं हैं.