चाँद का टुकड़ा अधिकतर किसी ऐसे अपने को सप्रेम कह दिया जाता है जो हमारे सबसे ज्यादा क़रीब होता है। इतना क़रीब कि वो कभी-कभी अपनी ख़ुद की ज़िन्दगी से भी ज्यादा ज़रूरी लगने लगता है। उस अपने से हम बेहद प्यार करते हैं। हमको उससे बेहद लगाव होता है। लेकिन क्या वो भी हमारे लिए ऐसा ही सोचता है? क्या वो भी हमारे लिए ऐसा ही हमारे लिए ऐसा ही महसूस करता है? पूरी किताब पढ़ेंगे तो अच्छे से समझ पाएँगे। -- युवा हिन्दी लेखक रामबाबू यादव एक छोटे से गाँव पंदरभटा से ताल्लुक रखते हैं जो कि तहसील बेगमगंज, जिला रायसेन, मध्यप्रदेश स्थित है। रामबाबू बचपन से ही लिखने-पढ़ने के शौक़ीन रहे हैं। एक छोटे से गाँव के निवासी होने के बावजूद उन्होंने अपने इस शौक को मरने नहीं दिया। सुविधाओं का अभाव और लिखने-पढ़ने का कमतर माहौल भी रामबाबू के इस हौसलें को कम नहीं कर सका। इसी संघर्ष और हौसले का परिणाम है कि उनकी पहली किताब जल्द आपके हाथों में होगी।