समस्त संसार में सभी वस्तुएँ सभी मानव अथवा जितना कुछ भी हमारे आस पास हमे दिखाई देता है वह सब अस्थाई है कुछ भी चिरस्थाई नही है। सिर्फ और सिर्फ प्रेम ही है जो जब तक संसार है शाश्वत है और शाश्वत रहेगा, प्रेम द्वापर में जन्मे भगवान कन्हैया के युग से चला आ रहा है और न जाने कितने ही कन्हैया के युगों तक चलता रहेगा, प्रेम और अनुराग में वह शक्ति है जिनसे हम पाप और पापियों को भी सही दिशा दे सकते है प्रेम मनुष्य के अंदर घृणा और बुराइयो का नाश करने में भी सक्षम है, प्रेम ने ही मीरा को और तुलसी को हिंदी साहित्य में एक अभूतपूर्व स्थान दिलाया जो आज तक स्मरणीय है वास्तव में प्रेम ही मनुष्य की शाश्वत जरूरत है एक मात्र शब्द प्रेम ही सत्य है एवं प्रेम किसी से भी कही पर भी कभी भी हो सकता है।