भारतीय संस्कृति एक व्यापक संस्कृति है। इसी को हिन्दू संस्कृति भी कहते हैं। प्रस्तुत पुस्तक में संस्कृति और सभ्यता में क्या अंतर है? संस्कृति और धर्म क्या है? ईश्वर क्या है? ईश्वर को मानने की आवश्यकता, सभी जीवों में व्रह्म की एकता, उपासना पद्धतियों का स्वरूप और उनका प्रयोजन, उनका मार्ग आदि का निरूपण सरल ढंग से किया गया है। पुस्तक में भारतीय संस्कृति के अंतर्गत चार आश्रमों ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास व्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र की उत्पत्ति उनके कार्य व उनमें जीवरूप से समानता का सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है। भारतीय संस्कृति में शिष्टाचार, सदाचार और शिखा (चोटी) रखने का बहुत महत्त्व है। इसकी वैज्ञानिकता पर प्रकाश डाला गया है।