प्रेम को व्यक्त करने के लिए दुनिया में लोगों ने अपने मन भावन अलग-अलग तरीकों को अपनाया है, किसी ने इन्द्रधनुष के सात रंगों का प्रयोग करके, कागज़ के धरातल पर अपना प्रेम उड़ेल दिया है, तो किसी ने तानसेन बनकर सरग़म के सात सुरों को सँजोकर अपने प्रेम से सभी को सराबोर कर दिया है, और कहीं किसी ने शब्दों को लड़ियों में पिरोकर कविता-गीत-ग़ज़ल इत्यादि के द्वारा प्रेम का वर्णन किया है। प्रेम-इश्क़-मुहब्बत ग़र ख़ुदा से हो जाये तो तन मन झूमने लगता है और बिना किसी की चिंता-फिक्ऱ किये मस्त-मौला हो बुल्लेशाह व प्रभु चौतन्य जी की भाँति नाचने लगता है। यही भाव लिए आ रही है मेरी सातवीं पुस्तक ‘‘इश्क़ नचाये गली-गली’’ इसमें सूफ़ी व भक्ति रस के गीतों का समावेश है। सभी गीत अनन्य अलंकारों से अलंकृत हैं तथा प्रेम की पराकाष्ठा को व्यक्त करते हुये दिल की गहराइयों में उतर मन को शीतलता प्रदान करते हैं। जब यह गीत मुझे इतना आनन्दित कर झूमने को विवश कर देते हैं तो आपके दिल में उतर आपके मन को भी शान्ति प्रदान करेंगे। ऐसा मुझे विश्वास है, तो लीजिए अपनी यह पुस्तक ‘‘इश्क़ नचाये गली-गली’’ भी आपको शुभकामनाओं सहित समर्पित करती हूँ।