“मैं यह सोचता करता था कि बच्चे काव्य में शब्दों के संगीत का अनुभव करें। प्रकृति के आंचल में उन क्षणों में, जब बच्चे अपने चारों ओर के सौंदर्य पर मंत्रमुग्ध होते थे, मैं उन्हें कविता सुनाता था। कविता में ही शब्दों का सौंदर्य सबसे उज्जवल रूप में मूर्तिमान होता है कविता या गीत पर विमुग्ध होते हुए बच्चे शब्दों का संगीत सुनते हैं, श्रेष्ठ कविताओं में शब्द मातृभाषा की सूक्ष्मतम भावात्मक छटाओं को उजागर करते हैं। इसलिए बच्चे कविता को याद करना चाहते हैं बच्चे के मन में जो शब्द पैठ गए हैं, उन्हें दोहराते हुए उसे सच्चा आनंद प्राप्त होता है वे आगे कहते हैं काव्य सृजन की शिक्षा कवियों की पौध उगाने के लिए नहीं बल्कि तरुण ह्रदयों को उदात्त बनाने के लिए आवश्यक है”