मधुबाला सिन्हा जी की कविताओं को पढ़ते हुए मैं इन्हीं निष्कर्षों पर पहुँचा हूँ। इनकी अधिसंख्य कविताओं में जीवन की सघन अनुभूतियों की अनुगूंज है। जीवन को प्रेम का परिहार्य माननेवाली मधुबाला जी की प्रत्येक कविता हमें जीवन और प्रेम से एकाकार करना सिखाती है। इनकी कविताएँ प्रेम का अमूत्र्तन करती हैं। मूत्र्त प्रेम असल में मृत प्रेम होता है। मधुबाला जी की कविताएँ मृत से अमृत तक की एक विराट यात्रा है। इस यात्रा में जो जितनी दूर तक इनके साथ है, वह उतना ही अधिक जीवन का साक्षात्कार करता है। मधुबाला जी की काव्य-यात्रा अनेक संकटों से गुजरते हुए यहाँ तक पहुँची है। उन्हें लिखने-पढ़ने का अधिक अवसर नहीं मिल पाता है लेकिन इन्होने जितना भी लिखा है, सार्थक लिखा है। घर-परिवार, रिश्ते-नातों और समाज की अनगिनत जिम्मेदारियों का निर्वहन करनेवाली किसी महिला के पास आखिर समय बचता ही कितना है! बावजूद इसके, अपनी रचनाशीलता को बचाये रखने की ललक और लगन के कारण वे अपने लिए कुछ न कुछ समय बचा ही लेती हैं। यह समय बचाना ही असल में अपने आपको बचाना है। जीवन की आपाधापी में आपको केवल आपकी रचनाशीलता ही बचाकर रख पाने में समर्थ है। रचनाशीलता चाहे कुम्हार की हो या फिर कवि की, सर्जना ही हमें बचाकर रख पाती है। कहना न होगा कि सृजनहार ही बचे रहेंगे। इसलिए, अपने लिए समय बचाना सबसे बड़ी कलाकारी है। इसी बचे हुए समय में अपने को बचाने का यत्न किया जा सकता है। मधुबाला जी पहले तो अपने लिए समय कपचती हैं और फिर उस कपचे हुए समय में अपनी अनुभूतियों को शब्दों के साँचे में उतारकर तराशती हैं। यह एक प्रकार की कठिन साधना हैं। इस साधना में चुनौती भी है तो आनन्द भी है। माना जाता रहा है कि पुरुषों में दृष्टि होती है और स्त्रियों में अन्तर्दृष्टि। मधुबाला जी की अन्तर्दृष्टि सम्पूर्ण चर-चराचर का ‘स्कैन’ करने में सक्षम है। ये बहुत ही बारीकी से उन चीजों का भी काव्य-संस्कार करने में सक्षम हैं, जिन चीजों पर अव्वल तो कविता ही नहीं बनती और यदि बन भी जाए तो वह हृदय को स्पर्श नहीं करती है। इस काव्य-संग्रह ‘पहली बून्द’ में इस प्रकार की कई कविताएँ हैं । ‘रेशमी लड़की’ तो बहुत ही श्रेष्ठ कविता है। श्रृंखला में लिखी इनकी इस कविता में इनकी अन्तर्दृष्टि, इनके तेवर और इनके कौशल से एक साथ साक्षात्कार होता है। इस तरह के अन्तर्वस्तु को लेकर भारतीय भाषाओं में, खासकर हिन्दी में काफी कविताएँ लिखी गई हैं। कुछ कविताएँ तो वाकई श्रेष्ठता की अद्भुत मिसाल हैं। इसी अर्थ में आप ‘रेशमी लड़की’ को पढ़ें, इसी तरह रिश्ता एवं स्वप्न सीरीज की कविताओं को पढ़ें। इस तरह की कविताएँ किसी को भी बड़े कवि का दर्जा देने के लिए पर्याप्त हैं लेखन-शैली की इन्हीं विशिष्टताओं के कारण मैं मधुबाला जी को एक बड़ी कवियत्री मानता हूँ। सच कहूँ तो मैं उनका फैन हूँ। इनकी कविताओं में विषम परिस्थितियों से जूझने की अकूत शक्ति है, मैं इन्हीं शक्तियों का कायल हूँ। मैं चाहता हूँ कि इनकी कविताओं का अनेक स्थानों पर पाठ हो, विश्लेषण हो, समीक्षाएँ हो। मैं यह भी चाहता हूँ कि मधुबाला जी लगातार लिखती रहें। इनकी और भी पुस्तकें पाठकों तक पहुँचे। इनकी काव्य-यात्रा अविरल चलती रहे-एक उन्मुक्त नदी की तरह। लगे हाथ एक बात यह भी कि इस नदी को कोई मंजिल न मिले। मंजिल मिल जाने पर यात्रा ठहर-सी जाती है। मैं कभी ठहराव के पक्ष में नही रहा। ठहरा हुआ जीवन भी क्या कोई जीवन है! इस यात्री की यात्रा हमेशा चलती रहें। पता नहीं यह दुआ है कि बद्दुआ, पर जो भी है, वह इन्हें लगे जरूर।