तो यकीन मानिए कि जिसने भी आंखों से आती इस खुशबू को एक बार देखकर महसूस कर लिया, उसका रोम-रोम इसकी खुशबू से महक जाता है. इन पंक्तियों का अर्थ कुछ यूं भी लगा सकते हैं कि किसी कि भी आंखों में हमें खुशी, उदासी, भय और घृणा के भाव आसानी से दिख जाते हैं, परंतु यहां तो प्रेमी आंखों से आती खुशबू भी देख कर महसूस कर लेते हैं, ये पंक्तियां प्रेम की एक खूबसूरत परिभाषा गढ़ कर हमारे सामने रख देती हैं । जिस प्रकार कोई बिना किसी फूल को देखे, केवल सुगंध से रिश्ता बना लेता है उसी प्रकार प्रेम में भी केवल प्रेम का सिर्फ़ अहसास ही ज़रूरी होता है, यहां प्रेमी का खुद उपस्थित होना कोई मायने नहीं रखता । और दोनों प्रेमियों के बीच रिश्ते को कोई नाम देना भी उतना ही बेमानी लगता है जिस प्रकार कि खुशबू महसूस करने वाला फूल से अपने रिश्ते को परिभाषित नहीं कर सकता, ये एकदम सच है कि सच्ची मुहब्बत केवल अहसास से ही अपने साथी को साथ महसूस करने की कोशिश होती है, बाकी सब छलावे और भ्रम के अतिरिक्त कुछ नहीं है ।