Kala Gulab
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इस उपन्यास में लेखक ने एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था पर अपनी कलम चलाई है जिसके आकर्षण में फंसकर नई उम्र के युवक युवतियां अंधे होकर पतन की राह पर बढ़ते जा रहे है। न उन्हे भविष्य की चिन्ता है, पीछे मुड़कर देखना उन्हे गवारा नहीं है। बस वर्तमान का सुख ही उन्हे चाहिए। उसे प्राप्त करने के लिए उन्हे चाहे कितना ही नीचे गिरना पड़े। लेखन ने इस उपन्यास के माध्यम से नई पीढ़ी की सोच पर प्रहार किया है। आशा है कि यह उपन्यास समाज को सोचने पर मजबूर कर देगा कि अगर समय रहते इस समस्या पर विचार नही किया गया तो क्या होगा युवा पीढ़ी का भविष्य ???