यौन संबंधी ज्यादातर रोग कामांगों के क्षुब्ध होने से पैदा होते हैं। अधिक स्वप्नदोष, प्रमेह, शीघ्रपतन आदि ऐसे ही कुछ विकार हैं। यौनांगों में सदा ताजा और साफ रक्त पहुंचना एकदम जरूरी होता है ।
प्रस्तुत पुस्तक का उद्देश्य अपने पाठकों को इस विषय में सचेत करना शिक्षित करना, उनका मार्ग-दर्शन करना है । यद्यपि इस पुस्तक में जहां पर हमने यौन-रोगों का जिक्र किया है उस प्रकरण में उन रोगों के साधारण इलाज का भी उल्लेख कर दिया है; किन्तु उसके बल पर यदि कोई रोगी है तो स्वयं अपनी चिकित्सा कर बैठना हानिकर होगा । उचित यही है कि इस पुस्तक के आधार पर अपनी स्थिति का ज्ञान कर सुयोग्य चिकित्सक के सम्मुख अपनी दशा का वर्णन करें और उसके निर्देशन में ही चिकित्सा आरम्भ करें । यह पुस्तक रोगी के लिए मार्ग-दर्शन का कार्य कर सकती है । चिकित्सक का नहीं इस तथ्य को पाठकों को सदा ध्यान में रखना चाहिए।