महर्षि वात्स्यायन प्राचीन भारत के कामशास्त्र के उद्भट विद्वान है । अपने रतिशास्त्र का वैज्ञानिक अध्ययन करके मानव मात्र के हितार्थ तद्विषयक सब ज्ञान अपने ‘कामसूत्र’ नामक ग्रन्थ में संगृहीत कर दिया है। एक पीढ़ी के बाद दूसरी पीढ़ी और इस प्रकार कई पीढ़ियां उनके ग्रंथ से लाभ उठकर अपने जीवन को सफल बनाती रही है । प्रस्तुत छोटेसे ग्रन्थ में डॉक्टर सतीश गोयल ने सारी आवश्यक सामग्री सरल ढंग से सामान्य पाठकों के हितार्थ प्रस्तुत कर दी है । प्रस्तुत पुस्तक मूलाधार आचार्य वात्स्यायन पावन कामसूत्र ही है। भारतीय संस्कृति और आधुनिक मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए तथा अपने लम्बे डाक्टरीअनुभव का समुचित योग देते हुए मैंने कामसूत्र की प्रस्तुति इस रूप में की है। कुछेक विषयों को जिन्हें आज की परिस्थितियों में महत्व नहीं दिया जाना चाहिये था मैंने सर्वथा छोड़ दिया है । किन्तु मूल विषय को तक पहुंचाने में कदापि संकीर्णता नहीं बरती । सभी मुख्य विषयों को उनकी मौलिकता को ठेस न पहुंचाते हुए विस्तार से समझाकर प्रस्तुत करने का मेरा प्रयत्न रहा है। मेरे प्रयत्न कहां तक सफल रहे है यह पाठक ही निर्णय देंगे ।