दो बड़े और ख्याति प्राप्त मनोचिकित्सकों के निजी और व्यावसायिक जीवन की झांकी देने वाली यह एक दुर्लभ पुस्तक है, डॉ. सुहैल, जो सेंट्रल ऑन्टारियों में क्रियेटिव फिजियोथेरेपी क्लीनिक के संस्थापक हैं और सुश्री बैटी डेविस,जो बहुत से अनुभवी चिकित्सक और प्रवक्ता है, इन दोनों ने इस अंतरंगतम संबंध के रहस्यों के प्रति अपनी पहली ललक को आपस में कहा बांटा है, विवाह पूर्व की मेल मुलाकातें, विवाह, तलाक तथा आने खाली पीढ़ी के लिए यौन शिक्षा आदि विषयों पर, जो कि मानवीय अंतसंबंधों की बुनियाद हैं, इन्होंने अपने इन पत्रों में निजी, सामाजिक तथा व्यावसायिक दृष्टिकोण से गहरा विमर्श किया हैं।
सहज मानवीय यौन व्यवहार से जुड़ी अनेकों धार्मिक, सांस्कृतिक तथा भ्रांतिपूर्ण अवधारणाओं का इन दोनों ने लगातार खंडन किया है और अनेकों अनावश्यक भय पैदा करने मिथकों को तोड़ा है, यह पत्र प्रेमासक्त संबंधों के मानवीय रुझान को व्याख्या करते हैं, जिसे विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के स्त्री पुरुषों के बीच पारस्परिकता बढ़ाने के लिए महत्त्वपूर्ण मानते है । दोनों विद्वानों ने यह अनुभव भी अपने पाठकों से साझा किया है कि ईर्ष्या और बेवफाई जैसे मुद्दों पर उन्होंने किस तरह अपने मरीजों की समस्याओं का हल उन्हें सौंपा।
वह पत्र पाठकों को अपने जीवन को सुधारने में मनोविज्ञान की समझ के प्रति जागरूक कराएंगे और नई पीढ़ी को एक अंतर्दृष्टि देंगे कि वह अपनी जिन्दगी में बेहतर चुनाव कैसे करे। यह पुस्तक नैसर्गिक विवेक के मूलभूत सिद्धांत देने वाली एक मूल्यवान निधि है । किसी भी आयु के प्रेमासक्त व्यक्ति इसे महत्त्वपूर्ण समझ के प्यार को रूप में पा सकते हैं।