भारतीय जनसंघ के एक महान नेता, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक सक्रिय सदस्य, ‘राष्ट्रधर्म’ और ‘पांचजन्य’ ‘साप्ताहिक समाचार पत्र’ के मार्गदर्शक तथा शिक्षा, स्वास्थ्य व ग्रामीण स्वावलम्बन के क्षेत्र में अपने अनुकरणीय योगदान के लिए प्रख्यात भारत रत्न से सम्मानित श्री नानाजी देशमुख के बारे में लिखने का अमूल्य अवसर प्राप्त हुआ। एक ऐसे महान व्यक्ति, जिन्होंने लोकसेवा हेतु अपना समस्त जीवन तो समर्पित करा ही, मृत्योपरांत अपने मृत शरीर को भी मेडिकल छात्रों के शोध हेतु दान करने का वसीयतनामा, अपनी मृत्यु से काफी समय पहले ही 1997 में लिखकर दे दिया था, यह भी उनके महान व्यक्तित्व के विशालता की एक बानगी थी। भारतीय अस्मिता से जुड़े प्रमुख व्यक्तियों पर कई पुस्तकों पर काम कर रहे हैं। शीघ्र ही इनकी पुस्तकें लगातार प्रकाशित होती रहेंगी। महापुरुषों के जीवन चरित्र का अध्ययन और उनके विचारों को जनमानस तक पहुंचाना इनके जीवन का उद्देश्य बन चुका है। ‘भारत रत्न नानाजी देशमुख’ उनकी तीसरी पुस्तक है। इसे पढ़कर आपको लेखक के गहन अध्ययन का पता चलेगा।