हिन्दू धर्मग्रंथ पुराण-विश्व साहित्य की अमूल्य निधि है। विषय- निर्वासन, तथ्यों का निरूपण, वर्णन शैली का संयत और स्वाभाविक रूप, भाषा का सौष्ठव और लालित्य आदि जितने गुण पुराण में भर दिए गए हैं, उन्हें देखकर ‘गागर में सागर’ की उक्ति का स्मरण हो आता है।
पुराण हमारे जीवन के ऐसे दर्पण हैं-जिनमें हम अपने प्रत्येक युग की तस्वीर देख सकते हैं, हम जिन देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करते हैं उनकी उत्पत्ति और विशेषताओं के बारे में जान सकते हैं। ब्रह्माण्ड के प्रथम मनुष्य- ‘मनु’ के बारे में जान सकते हैं, जिसकी हम सभी संतानें हैं। विभिन्न मन्वंतरों (काल खंडों ) के विषय मैं पुराणों में व्यापक जानकारी दी गई है जो शिक्षाप्रद ही नहीं, रोचक और रोमांचक भी है। एक-दूसरे से जुड़े कथा-प्रसंग प्रत्येक युग कीं वास्तविक तस्वीर खींचते हैं-जिन्हें हम किसी चलचित्र की भांति देख-पढ़ सकते हैं।