कोलकाता के एक गरीब क्लर्क के घर में जन्मे निमाई भट्टाचार्य का बचपन अत्यंत संघर्षपूर्ण परिस्थितियों के बीच बीता । कॉलेज जीवन के दौरान ही उनके पत्रकारिता जीवन की भी शुरुआत हुई । पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ने पर उनकी साहित्यिक प्रवृत्ति जाग्रत हो उठी । जीवन के विभिन्न पहलुओं से रूबरू होते हुए उन्होंने नारी जीवन को करीब से महसूस किया । यही कारण है कि उनके लेखन में नारी के चरित्र व समाज में उसके स्थान का मुख्य रूप से चित्रण हुआ है । श्री निमाई भट्टाचार्य आज बंगला के प्रतिष्ठित व यशस्वी उपन्यासकार है । उनके प्रथम उपन्यास ''राजधानी से पत्थे'' का मुखबंध स्वयं भूतपूर्व राष्ट्रपति महोदय ''डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन'' ने लिखा था । उनकी मूल बांग्ला रचनाओं 'राग असावरी', 'देवर भाभी', 'अठारह वर्ष की लड़की', 'सोनागाछी की चम्पा' का हिन्दी अनुवाद प्रकाशित हो चुका है । इसी श्रृंखला की नई कड़ी है "अवैध रिश्ते'' । वह कौन सी बात थी जिसने उसे पति के विरूद्ध जाने पर विवश कर दिया? क्या वह प्यार पा सकी? ऐसी नारी की कहानी जो अपने लक्ष्य के लिए परिस्थितियों से जूझ गई । जानने के लिए पढ़ें नारी जीवन के नए पक्ष को उजागर करती ''अवैध रिश्ते'' ।