सफल तो वो भी हो जाते हैं जिनका कोई व्यक्तित्व नहीं होता, परंतु ऐसी सफलता न तो किसी पर अपनी छाप छोड़ती है न ही किसी के लिए प्रेरणा बन पाती है। ऐसी सफलता का न तो कोई अर्थ है न ही कोई भविष्य। व्यक्ति की सफलता व उसका भविष्य उसके व्यक्तित्व से है और व्यक्तित्व का मतलब सिर्फ आकर्षक दिखना या प्रभावपूर्ण बातें करके सामने वाले को इंप्रेस करना ही नहीं होता। व्यक्तित्व बनता है आपके व्यवहार से, आपके स्वभाव और बर्ताव से। व्यक्तित्व बनता है आपकी सोच और आदतों से। व्यक्तित्व बनता है आपके सकारात्मक नजरिए एवं दृष्टिकोण से। इतना ही नहीं आपकी समझ एवं सहनशक्ति कैसी है? आप में प्रेम और करुणा का भाव कितना है? आप संघर्षों एवं चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं? अहंकार, क्रोध, काम, लोभ, वासना आदि का आप पर कितना गहरा प्रभाव है? शराब, बीड़ी, सिगरेट आदि व्यसनों से आप कितने मुक्त हैं? आपकी बोली, आपका आत्मविश्वास, आपकी याददाश्त, आपकी एकाग्रशक्ति, आपकी दृढ़ता, आपकी संकल्पशक्ति आदि बहुत कुछ मिलकर आपके व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं जिसे आप इस पुस्तक के माध्यम से, सरलता से समझ कर जीवन में उतार सकते हैं।