विक्रम और बेताल की कहानियां बहुत पुरानी है। वे मूल रूप से संस्कृत में लिखी गई थी। उज्जैन के राजा विक्रमादित्य (विक्रम) ने संन्यासी को वादा किया था, कि वह बेताल को लेकर आएंगे। बेताल को लाने के लिए यह शर्त थी कि राजा विक्रम सारे रास्ते चुप रहेगें। अगर राजा विक्रम बोलेंगे तो बेताल वापिस पीपल के पेड़ पर चला जाएगा। जब राजा विक्रम बेताल को लेकर राज्य की ओर जा रहे होते थे, तब रास्ते में बेताल राजा विक्रम को एक कहानी सुनाता था। कहानी खत्म होने के बाद बेताल राजा विक्रम से सवाल पूछता था और विक्रम सवाल का उत्तर देता है। उत्तर देते ही राजा अपनी चुप्पी तोड़ देते थे और बेताल उड़ कर चला जाता था।
बाल पाठकों के लिए विक्रम और बेताल की कुछ ऐसी ही अनोखी व अविश्वसनीय पूर्ण कहानियों का संग्रह प्रस्तुत कर रहे है। प्रत्येक कहानी कोई न कोई शिक्षा देती है। यही कारण है कि इन्हें सभी आयुवर्ग के पाठक बेहद रुचि से पढ़ते हैं। आशा है कि हमारे बाल पाठक इन कहानियों को पढ़कर आनंदित होंगे।