आज देश की शिक्षा व्यवस्था हासिये पर खड़ी हो गई है। जीवन की आवश्यक आवश्यकता होती है, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा। जब शिक्षा व्यवस्था लचर हो जाय, स्वास्थ्य सेवा बीमार हो जाय, तब हम किस परिवेश में नई पीढ़ी का निर्माण कर सकते हैं।
आज शिक्षा क्षेत्र में एक अजीब वैक्यूम, शून्यता, सन्नाटा छा गई है। मुझे लगता है सबसे पहले इस सन्नाटा को तोड़ने की आवश्यकता है। अभी हमारा सबसे प्राथमिक कर्तव्य है कि हम सभी क्षेत्रों से अपने ध्यान को हटाकर केवल शिक्षा क्षेत्र में केन्द्रित हों और अपने बच्चे के भविष्य को बचाने का प्रयास करें। मैं विभिन्न दिशाओं में हो रही प्रगति का समर्थन करता हूँ, लेकिन इन सभी प्रगतियों में बच्चों के भविष्य निर्माण को अधिक प्राथमिकता देना अनिवार्य है।