गीता एक धार्मिक ग्रन्थ कम, अपितु हमें एक अनुशासित जीवन-पद्धति का ज्ञान देने वाला ग्रन्थ अधिक है। यह हमें हमारे आध्यात्मिक विचारों को उन्नत करने में व एक स्वस्थ आचरण की जीवन शैली पर चलने में मदद देती है। हमारे जीवन का शायद ही कोई पहलू हो, जिसको सुलझाने में व दिशा दिखलाने में गीता सहायक न हो। यही कारण है कि विश्व में सभी समुदायों के विद्वानों ने गीता पर अपने विचार रखे हैं व उसके गूढ़ अर्थ को, अपने-अपने तरीके से प्रस्तुत किया है। इसलिए गीता किसी ख़ास धर्म या जाति से जुड़ी हुई नहीं है, बल्कि मानव कल्याण का एक सार्वजनिक ग्रन्थ है, जो कि हर प्राणी को, चाहे वह किसी भी धर्म को मानने वाला हो, इस जगत में स्वस्थ जीवन निर्वाह की प्रेरणा देता है। गीता में भगवान ने स्वयं कहा है कि मनुष्य को कभी भी अंत तक स्वधर्म नहीं छोड़ना चाहिये, चाहे दूसरा धर्म अपने धर्म के मुकाबले में कितना ही अच्छा लगता हो, इसलिए गीता को किसी धर्म या जाति से जोड़ना गलत है।