व्यक्तित्व विकास के लिए कोई बना-बनाया सिद्धांत या मार्ग नहीं है यदि मन हमारा अनियंत्रित है, संबंध हमारे खराब हैं, दृष्टिकोण हमारा नकारात्मक है या हम खुश होने की, जीने की कला आदि नहीं जानते तो इन सबका प्रभाव हमारे जीवन पर, पूरे व्यक्तित्व पर पड़ता है। यह सारी समस्याएं सुलझेगी तो ही आत्मविकास संभव हो पाएगा।इस पुस्तक के जरिए उन्हीं सूक्ष्म उलझनों को उभारने व सुलझाने का प्रयास किया गया है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमारी सफलता, उन्नति, विकास एवं आत्मरुपातरंण में बाधा उत्पन्न करते हैं।
उम्मीद है यह पुस्तक आपके आत्मिक रूपांतरण में सहायक सिद्ध होगी और आपके जीवन में एक सकारात्मक दृष्टिकोण का अविर्भाव होगा। इसी भरोसे से कि असंभव कुछ भी नहीं, सब संभव है। पढ़िए और पढ़ाइए ‘सब संभव है'।