इस विषय पर पुस्तक लिखना एक बहुत बड़ा प्रयास है और इसका श्रेय उन सभी लोगों को जाता है जिन्होंने इसकी प्रेरणा देने संदर्भ सामग्री जुटाने और विचार अभिव्यक्त करने, टाइपिंग, डिजाइनिंग कार्यों में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अपना सहयोग दिया। सर्वाधिक महत्वपूर्ण योगदान संभवतः मेरे योग गुरु स्वर्गीय आचार्य श्री तुलसी का है, जिन्होंने मुझे प्रेक्षा पद्धति से अवगत कराया। यह उनका आशीर्वाद ही था और मैं इस अभिन्न और तेजस्वी व्यक्तित्व के प्रति अपना आभार, कृतज्ञता और श्रद्धा व्यक्त करता हूं। इसलिए यह पुस्तक उन लोगों के लिए बहुत अच्छी मार्गदर्शक निर्देशिका साबित होगी जो योगिक तकनीक के साथ-साथ साओल पद्धति का पालन करना चाहते हैं।