शरतचन्द्र भारतीय वांग्मय के ऐसे अप्रतिम हस्ताक्षर हैं जो कालातीत और युग संधियों से परे हैं। उन्होंने जिस महान साहित्य की रचना की है उसने पीढ़ी-दर-पीढ़ी पाठकों को सम्मोहित और संचारित किया है। उनके अनेक उपन्यास भारत की लगभग हर भाषा में उपलब्ध् हैं। उन्हें हिंदी में प्रस्तुत कर हम गौरवान्वित हैं। शरत्चन्द्र द्वारा रचित 'परिणीता' एक लोकप्रिय उपन्यास है। ललिता सुंदर एंव सादगी से परिपूर्ण लड़की है, जो बचपन से ही मुंहबोले भाई शेखर के साथ रहती है। शेखर ललिता से मन ही मन प्यार करने लगता है, जबकि ललिता इन सब बातों से अनजान है। अब तक ललिता को एक रुपये की भी जरूरत होती तो शेखर से ही मांगती थी, परंतु इन भावों को जानने के बाद क्या ललिता शेखर के सामने जा पाएगी... शरत्चन्द्र ने इस कहानी में स्त्री-पुरुष के छुपे हुए भाव को शब्दों द्वारा चित्रित किया है।