ओशो के प्रवचनों से संकलित इस पुस्तक में बच्चों के पालन-पोषण का ढंग, शिक्षा का प्रारूप कैसा हो, भोजन की गुणवत्ता तथा जीवन जीने के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की है। पुस्तक पढ़ते-पढ़ते आप स्वयं जान पाएंगे कि हमारे जीवन में कहां-कहां त्रुटियां हुई हैं। जिनके परिणाम स्वरूप हमारा जीवन दुःख, तनाव व चिन्ताओं का जोड़ बन कर रह गया है। पुस्तक में ओशो द्वारा बताए गए जीवन जीने के सूत्र, ओशो क्या कहना चाहते हैं, इशारे को पकड़े, अंगुली नहीं भाव पकड़ना है, भाव को समझें जैसे सांप केंचुली छोड़ बाहर आता है वैसे ही आप पुराने संस्कारों से मुक्त हो अपने जीने के ढंग में परिवर्तन करने का संकल्प करेंगे। दुःख, तनाव व चिन्ताओं को अपनी किस्मत में लिखा ना मान कर इनके पार आनंदित जीवन जीने की ओर अग्रसर होंगे।