पिछले दिनों कश्मीर में जो हुआ उसे लेकर भारतीय मीडिया की अलग-अलग राय है। देश में कहीं खुशी है तो कहीं गम। ऐसे में कश्मीर के जमीनी हालात को करीब से देखना, जहाँ फोन नेटवर्क बंद हो, कर्फ्यू लगा हुआ हो एक मुश्किल काम था। कश्मीर की ग्राउंड रिपोर्ट लिखते समय मैं वहाँ के लोगों से मिली और उनसे घंटों बात की। इससे वहाँ की वास्तविकता और मीडिया रिपोर्ट के अन्तर को समझने में मदद मिली। मैं कश्मीर की मौजूदा स्थिति पर लेख, व्यंग्य, कहानी लिखने की सोच रही थी लेकिन उपरोक्त माध्यमों से अपनी बात कहना बड़ा ही मुश्किल था। इसलिए मैंने कश्मीर के नये हालात और उनसे उपजी कश्मीर की राजनीतिक, आर्थिक और मनोस्थिति बयान दर्ज करते हुए इसे उपन्यास की शक्ल में लिखा। पत्रकार आरिफा एविस युवा रचनाकारों में अपना विशिष्ट स्थान बनाने वाली एक सशक्त आवाज हैं। एक सचेत कलमकार होने के नाते उनके पास पैनी दृष्टि और जनपक्षधरता है। इनकी कविता, कहानी, लेख, समीक्षा, व्यंग्य का देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन होता रहा है। इनकी रचनाओं में निर्भीकता किन्तु मानवता के प्रति पूर्णतः समर्पण देखने को मिलता है। आज के उन्माद असहिष्णुता, विघटनकारी वातावरण में लेखिका अपने अडिग विश्वास के साथ समानता, स्वतंत्रता, सहअस्तित्व की पक्षधर लेखन से अपना ध्यान आकर्षित कर रही है। लेखिका के 'मास्टर प्लान' उपन्यास के अतिरिक्त दो व्यंग्य संग्रह 'शिकारी का अधिकार' और 'जांच जारी है' प्रकाशित हो चुके हैं।