बहुत कम लोग होते हैं जो अपने दिल की सुनते हैं और उस पर अमल भी करते हैं । जो ऐसा करते हैं वो अपने जीवन में निराश नहीं होते ।
समय का पहिया किसी के रोके नहीं रुकता । हर किसी को उसके साथ चलना पड़ता है । मैंने लोगों को यह कहते हुए सुना है कि मेरे भी कुछ ख्वाब थे, कुछ अरमान थे जो जिम्मेदारियों के बोझ तले दब गए । यह दबाव इतना बढ़ा कि अब मेरे उन सपनों का कोई वजूद ही नहीं रहा ।
दुनिया में कुछ विरले लोग ऐसे भी होते हैं जो ठान लेते हैं, तो उसे पूरा करने के बाद ही दम लेते हैं । उनमें से ही एक वैभव था । अपने सपनों को पंख देने के लिए वह मुम्बई पहुंचा जहां उसकी मुलाकात श्रुति नामक लड़की से हुई कुछ ही मुलाकात में वह उसे अपना दिल दे बैठा । गुलाब चुनते हुए उसके हाथ कांटों से उलझ जाते हैं और वह जख्मी हो जाता है । यह जख्म उसका तरह-तरह से इम्तहान लेते हैं । ख्वाबों के शहर में उसकी अग्निपरीक्षा होती है, पर वह हर हार नहीं मानता । हर चुनौती का सामना करता है और खालिस सोने के माफिक निखर कर बाहर निकलता है ।
एक पराये महानगर में अनजान लोगों के बीच वैभव को किस्मत कहां ले जा रही थी? क्या उसके सपने सच होंगे, क्या उसका प्यार परवान चढेगा? श्रुति और वैभव का यह सफर कहां तक जाएगा, ये सवाल अब भी अधूरे हैं... ।