हिन्दी गीति-काव्य का पर्याय बन चुके कवि नीरज बीसवीं शताब्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय और सम्मानित काव्य व्यक्तित्व हैं। अनेक प्रतिष्ठित प्रकाशन-समूहों द्वारा कराये गये सर्वेक्षणों के तथ्य इस बात को प्रमाणित करते हैं।
भक्तिकालीन कवियों के बाद जन-भाषा में मानवीय संवेदनाओं को ऐसी अभिव्यक्ति देने वाला और जनसाधारण में इतना समादृत और स्वीकृत कोई अन्य कवि दूर-दूर तक दिखाई नहीं देता। निश्चित रूप से वे हिन्दी जगत में एक जीवित किंवदन्ती या कहें कि ‘लिविंग लीजेण्ड’ बन चुके हैं।
‘कुछ दोहे नीरज के’ उनकी अप्रतिम लेखनी से निसृत प्रेम, सौन्दर्य, सामाजिक व्यवहार, नैतिकता, राजनीति, अध्यात्म, ज्योतिष आदि विविध विषयों से सम्बंधित उत्कृष्ट दोहों का महत्वपूर्ण संग्रह है।
साथ ही उनकी कुछ पातियां भी इस संग्रह की शोभा हैं।