भारतीय हिंदी सिनेमा में किशोर कुमार ने अपनी आवाज का जो जादू बिखेरा, वह आज भी लोगों को सम्मोहित का रहा है । उन्होंने हर तरह के गीतों को आवाज देकर उन्हें अमर कर दिया। किशोर कुमार ने गीत-संगीत का कोई बाकायदा प्रशिक्षण नहीं लिया था। वो खुद ही अपनी लगन, मेहनत और परिश्रम के बलबूते भारतीय फिल्म उद्योग में एक किवदंती बन गए। चाहे उनका ज़िंदगी जीने की चाहत से सराबोर 'उडली-उडली' गीत हो या रोमांटिक गीत 'हमें तुमसे प्यार कितना' अथवा गंभीर प्रेम को प्रदर्शित करता उनका गीत 'जीवन से भरी तेरी आंखें' या भावनाओं में डूबता-उतरता गीत 'कोई होता जिसको अपना' हरेक गीत की कर्णप्रियता आपको अपने भावों के साध बहा ले जाती है। प्रत्येक नवोदित गायक, उनके गाए गीतों को गाकर ही अपने कैरियर की शुरुआत करता है।