यह पुस्तक प्रेरक भी है और प्रासंगिक भी। रोजमर्रा की जिंदगी में काम आने वाली तो है ही, हमें बेहतर बनने के लिए भी प्रेरित करती है। काश! ये पुस्तक स्वाति ने और जल्दी लिखी होती। -मोतीलाल ओसवाल, चेयरमैन, मोतीलाल ओसवाल फाइनेन्शियल सर्विसेज़ लिमिटेड यह पुस्तक आज के ही नहीं, भविष्य में बनने वाले अभिभावकों के लिए भी बहुत ज़रूरी है। मेरा कहा मानिए, यह कमाल की उपयोगी है। -राधाकृष्ण पिल्लई, 'कॉरपोरेट चाणक्य' के बेस्टसेलर लेखक यह पुस्तक उन सभी माता-पिता के मन-मस्तिष्क को जागृत करेगी, जिन्हें 'पेरेन्टिंग' मूल्यवान लगती है। -डायना डेन्टिंगर, लाइफ कोच, इटली न उपदेशात्मक, न जजमेंटल, यह पुस्तक 'पेरेन्टिंग ज्ञान' की खान है। - शीरोज़-इन डॉ- स्वाति लोढ़ा कई बेस्टसेलिंग पुस्तकों 'हू इज़ रेवती रॉय?' (2019), '54 रीज़न्स वाय पेरेन्ट्स सक' (2018), 'डोन्ट रेज़ योर चिल्ड्रन, रेज़ योरसेल्फ' (2016), 'वाय वुमन आर वॉट दे आर' (2004), 'कामयाबी कैसे' (2003), 'कम ऑन! गेट सेट गो' (2002) की लेखिका हैं।पिछले दो दशकों में वे कई मैनेजमेंट संस्थानों की डायरेक्टर व डीन रही हैं। एक उद्यमी के रूप में उनकी कम्पनियाँ, 'स्वैश प्रा- लिमिटेड' व 'लाइफ लेमोनेड' लाइफस्किल्स ट्रेनिंग मुहैया कराती हैं। 'राष्ट्रीय राजभाषा पुरस्कार', 'भारत गौरव पुरस्कार', 'सूर्यदत्ता नेशनल अवार्ड' से सम्मानित डॉ- स्वाति लेखन, शिक्षण व उद्यमिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं।