महाराजी का जन्म हरिद्वार में हुआ । अपने पिता और माननीय गुरु के लिए आयोजित कार्यक्रमों में उन्होंने 3 वर्ष की उम्र से ही बोलना शुरू कर दिया था ।
जुलाई 1966 में जब वे 8 वर्ष के थे तो उन्होंने शांति के इस संदेश को विश्व में जन-जन तक पहुंचाने की जिम्मेवारी संभाली । प्रारंभिक शिक्षा के साथ-साथ उन्होंने पूरे भारतवर्ष में जगह-जगह आयोजित कार्यक्रमों में लोगों को सम्बोधित किया । लोग उनसे आकर्षित होने लगे और उन्हें बालयोगेश्वर के नाम से जानने लगे ।
13 वर्ष की उम्र में उन्हें लंदन और लॉस एंजिलिस में बोलने के लिए आमंत्रित किया गया और उनकी यात्राओं का ये सिलसिला शुरू हो गया । उसके बाद उन्हें लगभग हर महाद्वीप से बोलने के लिए आमंत्रण आने लगे । महाराजी को उनके इस महान कार्य के लिए संसार के कई शहरों में सम्मानित किया गया है ।
महाराजी शांति का सुंदर संदेश पूरे विश्व में लोगों तक पहुंचा रहे हैं । उनका कहना है कि हर मनुष्य के अंदर एक बहुत ही सुंदर अनुभव है, जहां पहुंचकर हम परम शांति और आनंद को महसूस कर सकते हैं और उस अनुभव तक पहुंचने के लिए मैं आपकी मदद कर सकता हूं ।
उनका संदेश सिर्फ शब्दों तक ही सीमित नहीं है, लोगों को अपने अंदर शांति तक पहुंचने के लिए वे उनका मार्गदर्शन भी करते हैं ।