मानव समाज के विभिन्न पहलुओं-क्षेत्रों में सभी मनुष्यों के विचार एक समान नहीं होते। देश, धर्म, समाज, राजनीति आदि के विषय में मनुष्यों के विचारों में विभिन्नता अनेक प्रकार की भावनाओं को जन्म देती है। इन विभिन्न क्षेत्रों के विषयों में किसी मनुष्य के विचार ही उस विषय में दृष्टिकोण अथवा दर्शन कहे जाते है।
‘गणेश शंकर विद्यार्थी जी’ महान देशभक्त, अहिंसा के पुजारी, साम्प्रदायिक एकता के प्रबल समर्थक थे। वे सभी धर्मों का सम्मान करते थे। ‘विद्यार्थी जी’ अपनी अल्प आयु में अनेकों बार जेल गए और हर तरह की यातनाओं को सहन करके जो कार्य उन्होंने किए वह श्रद्धा भक्ति से सराहनीय है। अथक परिश्रम करके अंग्रेजी शासन का विरोध करते रहे, हिन्दू-मुस्लिम एकता आदि पर ‘विद्यार्थी जी’ का पूरा विवरण प्रस्तुत है।