ईद का महत्त्व इसलिए बढ़ जाता है, क्यों इसके लिए पूरे 30 दिन रोजे रखे जाते हैं। उस दिन की सुबह कितनी मनोहर और सुहावनी है। वृक्षों पर कुछ अजीब हरियाली, आसमान पर कुछ अजीब लालिमा है। आज का सूर्य देखो कितना प्यारा, कितना शीतल है, मानो संसार को ईद की बधाई दे रहा है। इस पवित्र पर्व पर बच्चों का उल्लास देखते बनता है, पर पांच साल के हामिद ने ईद पर जो किया, वह पूरे समाज के लिए मिसाल बन गया। एक छोटे बच्चे ने वो कर दिखाया, जिससे बड़े-बूढ़े भी वाह-वाह कर उठे। मुंशी प्रेमचंद के साहित्य की सबसे बड़ी शक्ति है, जीवन के प्रति उनकी ईमानदारी। उनकी यह ईमानदारी बाल कहानियों में भी बखूबी दिखती है। उन्होंने बच्चों को ध्यान में रखते हुए अनेक कहानियां लिखीं। ये कहानियां मनोरंजक होने के साथ ज्ञानवर्धन का स्त्रेत भी हैं। उनके साहित्य में भारतीय जीवन का सच्चा और यथार्थ चित्रण हुआ है। प्रसिद्ध साहित्यकार प्रकाशचंद गुप्त ने लिखा है, ‘यह भारत, नगरों और गांवों में, खेतों और खलिहानों में, संकरी गलियों और राजपथों पर सड़कों और गलियारों में, छोटे-छोटे खेतों और टूटी-फूटी झोपड़ियों में निवास करता है। इस जीवन को प्रेमचंद अपनी लेखनी की शक्ति से बदलना चाहते थे और इसमें बड़ी मात्र में वे सफल भी हुए।’ इस संकलन में हमने बालमन को छूने वाली उन कहानियों को चुना है, जो प्रेमचंद को एक बाल साहित्यकार के रूप में परिचित कराती हैं। ये कहानियां बच्चों के अलावा आम पाठकों के लिए भी रुचिकर होंगी, क्योंकि इनमें शिक्षा के साथ मनोरंजन भी है।