भारत के महान सपूत भीमराव अम्बेडकर के शुरुआती जीवन की मर्मस्पर्शी वेदनाएं आखिरकार सम्पूर्ण भारत वर्ष के लिए वरदान साबित हुई। बचपन में ही सामाजिक कुव्यवस्थाओं से कुंठित होकर तथाकथित अछूतों को न्याय दिलाने के लिए दृढ़संकल्प भीमराव सकपाल (बचपन का नाम) जब उच्च शिक्षा पाने की खोज में मुम्बई शहर पहुंचे तो एक दुकानदार से महार जाति के होने की बात बतला दी। जैसे ही दुकानदार को पता लगा कि सकपाल जाति का महार है तो उसने सकपाल को बुरी तरह डांटते हुए इस प्रकार भगाया कि वह कीचड़ में जा गिरा। किन्तु वह बालक एक बार जो संभल कर खड़ा हुआ तो अपने कर्तव्यों द्वारा संपूर्ण भारत को अनुगृहित किया। फिर कालांतर में वही महार सकपाल ‘बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर’ के रूप में भारतीय संविधान के निर्माण में मार्गदर्शक बने।