पाकिस्तानी शायरी में मुज़फ़्फ़र वारसी का नाम एक जगमगाते हुए नक्षत्र की तरह है । उन्होंने यद्यपि उर्दू शायरी की प्रायः सभी विधाओं में अपने विचारों को अभिव्यक्ति दी है । किन्तु उनकी लोकप्रियता एक ग़ज़लगो शायर के रूप में ही अधिक है ।
मेरी जिंदगी किसी और की,
मिरे नाम का कोई और है
मिरा अक्स है सार-ए-आईना
पस-ए-आईना कोई और है
जैसा दिलकश और लोकप्रिय शे’र कहने वाले मुज़फ़्फ़र वारसी ने साधारण बोलचाल के शब्दों को अपनी ग़ज़लों में प्रयोग करके उन्हें सोच-विचार की जो गहराइयाँ प्रदान की हैं, इसके लिए उन्हें विशेष रूप से उर्दू अदब में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है । मुज़फ़्फ़र वारसी की हृदयस्पर्शी ग़ज़लों का हिन्दी में पहला संकलन ।