नागरिकता बिल में इस संशोधन से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा। 1950 में संविधान लागू होने के बाद अभी तक इसमें 103 संशोधन किए जा चुके हैं और हाल ही में एक संशोधन बिल भी 'नागरिक संशोधन बिल' लोकसभा एवं राज्यसभा में पारित हो गई। इस बिल में यह प्रावधान दिया गया है कि 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्घ, जैन, पारसी एवं ईसाई धर्म के जो लोग शरणार्थी के रूप में रह रहे थे और अभी तक अवैध प्रवासी माने जाते थे, उन्हें अब अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा। नागरिकता संशोधन बिल नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को बदलने के लिए पेश किया जा गया है, जिससे नागरिकता प्रदान करने से संबंधित नियमों में बदलाव होगा। नागरिकता संशोधन बिल में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों के लिए निवास अवधि की बाध्यता को 11 साल से घटाकर 6 साल करने का प्रावधान है।