चाणक्य का नाम आज कौन नहीं जानता? भारतीय अर्थव्यवस्था, राजनैतिक व्यवस्था, शैक्षणिक व्यवस्था और सामाजिक व्यवस्था को सुनियोजित बनाए रखने की एक उत्कृष्ट बौद्धिक परम्परा को जन्म दिया, जिसने अपने कूटनीतियों से शत्रुओं का दमन किया। साथ ही अपनी प्रतिभा से संस्कृत-साहित्य को अत्यंत महत्त्वपूर्ण बनाया और अपनी सम्पूर्ण जीवनशैली को दूसरों के शिक्षार्थ प्रस्तुत रखा। स्वयं सम्राट बनाया। जिसने चरित्र, स्वाभिमान और कर्तव्यनिष्ठा को प्रमुखता दी, उसी पुरुष शिरोमणि का नाम ‘चाणक्य’ है। ‘चाणक्य नीति’ अत्यंत प्रचलित है। प्रायः लोग अपनी बातों को वजनदार बनाने के लिए इस उपदेश युक्त वचनों का सहारा लेते हैं। ये नीतियां वाकई बहुत दमदार और जीवन को सुनियोजित जीने की सही राह बताती हैं। इन नीतियों के पालन से जीवन में पराजय का मुंह नहीं देखना पड़ता है। ‘चाणक्य सूत्र’ वस्तुतः सुक्तियां हैं, जिसे याद कर लेने में कोई कठिनाई नहीं होती है। ये ऐसे सूत्र हैं जो हर पल जीवन के हर मोड़ पर गुरुमंत्र का काम करते हैं। इस पुस्तक में सरल शब्दों में सटीक बातें कही गईं हैं जो प्रत्येक व्यक्ति के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण और बहुपयोगी हैं।